मौसम में बढ़ती हुई गर्माहट और सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा की नजदीक आ रही तिथि .......मन में चल रहा उधेड़बुन ...अब
किसे पढ़ें ,किसको छोड़ें ,....वक़्त सिर्फ एक महीने का है।करना सब कुछ है. ...अरे इतिहास का क्या होगा? विपिन चन्द्रा की पुस्तक
तो लगती है जैसे हिंदी की हो .....उसकी व्याख्या के लिए हिंदी के शिक्षक की आवश्यकता होगी .....पता नही क्या -
क्या लिख दिया ???
राजनीति शास्त्र ......ओह ! पता नही प्रश्न पत्र बनाने वाले क्या राजनीति कर देते हैं कि जैसे लगता है जो कानून अगले साल बनेगी वो आज ही उनके दिमाग में छप गये।अब इसके लिए ज्योतिष कहाँ से लाऊं? लक्ष्मीकांत ने कुछ अच्छा लिखा तो किताब ही मोटी कर दी।
अर्थशास्त्र की बात ही मत करो। पता नहीं क्या बला है?.....दत्त और सुन्दरम को पता नही क्या समझ में आया ग्रन्थ लिख दिया।कोचिंग में शिक्षक बताते हैं बजट पढो,ईयर बुक पढो ,आर्थिक समीक्षा पढ़ो .....यहाँ तक कि १ ५ अगस्त और २ ६ जनवरी में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के भाषण से भी प्रश्न आयेंगे।
और कोचिंग में जो भाषण शिक्षक महोदय देते हैं उनका तो कहना ही क्या ??जो न सुना वो सिविल सेवा के बारे में सोचे भी मत !
......अब बात करूँ पर्यावरण की ....पता नही ये है क्या ???बड़े -बड़े राष्ट्र अभी तक नही समझ पाए तो हम क्या समझेंगे ......भूगोल तो अपने आप में गोल है। समझ नहीं आती क्या नक़्शे का पचड़ा है।हमें तो अपने घर के नक़्शे और चौहद्दी का पता नही तो विश्व का क्या समझ में आएगा। खुल्लर साहब खुल के बताते नही .........
IR और CURRENT AFFAIRS -तो भरोसे के लायक नहीं।
जो पढ़ो वो आएगा नहीं .....दर्पण ,क्रोनिकल ,मं पता नही कहाँ से ख़बरें जुटाते हैं और नहीं जुटा पाते तो गलत -सही वैल्यू एडिसन
डालकर कीमत बड़ी कर देते हैं।अब एक महीना बचा है कुछ तो करना पड़ेगा ???बस लुसेंट पढ़ लेते है upsc नही तो pcs में काम
आएगा। .......................................................
मित्र तमाम विचारों में एक भी विचार अगर आपके मन
में है तो मेरी सलाह है अभी से ही परीक्षा में
उपस्थित होने का इरादा छोड़कर चैन से जियें।
फिर अगले साल के लिए अभी से तैयार हो जाएँ।
और जो दृढ़ हैं वो सकारात्मक सोच के साथ आगे
बढ़ें।
मेरी शुभकामनाएं आप सबों के साथ है।......
किसे पढ़ें ,किसको छोड़ें ,....वक़्त सिर्फ एक महीने का है।करना सब कुछ है. ...अरे इतिहास का क्या होगा? विपिन चन्द्रा की पुस्तक
तो लगती है जैसे हिंदी की हो .....उसकी व्याख्या के लिए हिंदी के शिक्षक की आवश्यकता होगी .....पता नही क्या -
क्या लिख दिया ???
राजनीति शास्त्र ......ओह ! पता नही प्रश्न पत्र बनाने वाले क्या राजनीति कर देते हैं कि जैसे लगता है जो कानून अगले साल बनेगी वो आज ही उनके दिमाग में छप गये।अब इसके लिए ज्योतिष कहाँ से लाऊं? लक्ष्मीकांत ने कुछ अच्छा लिखा तो किताब ही मोटी कर दी।
अर्थशास्त्र की बात ही मत करो। पता नहीं क्या बला है?.....दत्त और सुन्दरम को पता नही क्या समझ में आया ग्रन्थ लिख दिया।कोचिंग में शिक्षक बताते हैं बजट पढो,ईयर बुक पढो ,आर्थिक समीक्षा पढ़ो .....यहाँ तक कि १ ५ अगस्त और २ ६ जनवरी में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के भाषण से भी प्रश्न आयेंगे।
और कोचिंग में जो भाषण शिक्षक महोदय देते हैं उनका तो कहना ही क्या ??जो न सुना वो सिविल सेवा के बारे में सोचे भी मत !
......अब बात करूँ पर्यावरण की ....पता नही ये है क्या ???बड़े -बड़े राष्ट्र अभी तक नही समझ पाए तो हम क्या समझेंगे ......भूगोल तो अपने आप में गोल है। समझ नहीं आती क्या नक़्शे का पचड़ा है।हमें तो अपने घर के नक़्शे और चौहद्दी का पता नही तो विश्व का क्या समझ में आएगा। खुल्लर साहब खुल के बताते नही .........
IR और CURRENT AFFAIRS -तो भरोसे के लायक नहीं।
जो पढ़ो वो आएगा नहीं .....दर्पण ,क्रोनिकल ,मं पता नही कहाँ से ख़बरें जुटाते हैं और नहीं जुटा पाते तो गलत -सही वैल्यू एडिसन
डालकर कीमत बड़ी कर देते हैं।अब एक महीना बचा है कुछ तो करना पड़ेगा ???बस लुसेंट पढ़ लेते है upsc नही तो pcs में काम
आएगा। ..............................
मित्
में है तो मेरी सलाह है अभी से ही परीक्षा में
उपस्थित होने का इरादा छोड़कर चैन से जियें।
फिर अगले साल के लिए अभी से तैयार हो जाएँ।
और जो दृढ़ हैं वो सकारात्मक सोच के साथ आगे
बढ़ें।
मेरी शुभकामनाएं आप सबों के साथ है।......
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